रचना जी का मैं शुक्रगुज़ार हूं, उन्होंने डॉ अमर कुमार की अमूल्य टिप्पणियां भेजी हैं...कुछ टिप्पणियां इस पोस्ट में, शेष अगली पोस्ट में...
डा. अमर कुमार said...
रचना जी, आपको बधाई हो !
आपको बाद में जाना.. आप खरी खरी कहने से नहीं चूकतीं, यह अच्छा लगा !
आपमें लड़ने और जूझने का माद्दा है, यह भला लगता है !
त्रस्त हो रिरियाते व्यक्तित्व ने नारी का बड़ा नुकसान किया है ! आपके सरोकार ज़ायज़ हैं, अब एकांगी दृष्टिकोण ्न रखेंगी.. यह अपेक्षा है !
आप लम्बे समय तक हम सब का साथ दें, पर सचेतक के साथ सखा भाव भी समानांतर रहना चाहिये, है कि नहीं ?
आपको बाद में जाना.. आप खरी खरी कहने से नहीं चूकतीं, यह अच्छा लगा !
आपमें लड़ने और जूझने का माद्दा है, यह भला लगता है !
त्रस्त हो रिरियाते व्यक्तित्व ने नारी का बड़ा नुकसान किया है ! आपके सरोकार ज़ायज़ हैं, अब एकांगी दृष्टिकोण ्न रखेंगी.. यह अपेक्षा है !
आप लम्बे समय तक हम सब का साथ दें, पर सचेतक के साथ सखा भाव भी समानांतर रहना चाहिये, है कि नहीं ?
सच्चे मन से इतनी तारीफ़ कर दी, अब तो मेरा कहा सुना माफ़ करें..
वरना क्या साफ़ करना पड़ता है, नौबत ही न आये !
वरना क्या साफ़ करना पड़ता है, नौबत ही न आये !
April 11, 2009 9:08 PM
डा० अमर कुमार said...
आपने यह कैसे तय कर लिया कि, आपका काम पूरा हो गया ?
इन चिंगारियों के धधक बनने का समय तो अब आया है, और आप कहती हैं.. कि आपका काम पूरा हो गया !
आपकी कान उमेठू टिप्पणियों ने बहुतों का मार्गदर्शन किया है... और मेरे साथा दूसरी बड़ी बात यह है कि,
अब मैं लडूँगा किससे ? जाइये थोड़ा विश्राम लेकर तरो-ताज़ा होकर दूसरे राउँड के लिये जल्द आइये ।
इन चिंगारियों के धधक बनने का समय तो अब आया है, और आप कहती हैं.. कि आपका काम पूरा हो गया !
आपकी कान उमेठू टिप्पणियों ने बहुतों का मार्गदर्शन किया है... और मेरे साथा दूसरी बड़ी बात यह है कि,
अब मैं लडूँगा किससे ? जाइये थोड़ा विश्राम लेकर तरो-ताज़ा होकर दूसरे राउँड के लिये जल्द आइये ।
June 30, 2011 12:15 AM
डा० अमर कुमार ने कहा…
हर जगह, हर मुद्दे पर, इर्द गिर्द फैले कचरों पर सहमत होते रहना.. ब्लॉगजगत की तहज़ीब में है ।
ऎसी तहज़ीब विचार प्रदूषण के ख़तरे देती है
आपका विचार शून्य होना ही ठीक है !
ऎसी तहज़ीब विचार प्रदूषण के ख़तरे देती है
आपका विचार शून्य होना ही ठीक है !
५ जून २०११ १०:३० पूर्वाह्न
डा०अमर कुमार said...
आदरणीय समीर भाई,
जान की अमान पाऊँ, तो मैं मूढ़मति भी कुछ पूछ लूँ ? कुछ बुनियादी सवाल है, मुर्ग़ी, बत्तख या शुतुरमुर्ग़ के अंडे से मेरा कोई बहस नहीं । अंडा तो अंडा, क्या हिंदू ..क्या मुसलमान ?
बस एक लघु सी शंका है, पहले वह निवृत करें !
यह तो बताया नहीं कि अंडे कच्चे रहेंगे या उबाल कर लिये जायें ।यदि उबाल कर प्रयुक्त करें, तो पहले उबाल कर छीलें या छील कर उबालें ?
यह तो बताया नहीं कि अंडे कच्चे रहेंगे या उबाल कर लिये जायें ।यदि उबाल कर प्रयुक्त करें, तो पहले उबाल कर छीलें या छील कर उबालें ?
मैंने पैन वगैरह तैयार कर रखा है,बस आपकी प्रतीक्षा है । क्या करें, बेसिक से शुरु करने की ट्रेनिंग मिली हुई है, सो पूछने का साहस कर रहा हूँ !
July 3, 2008 9:57 PM
डा. अमर कुमार said...
क्या करें बेचारे.. निहारते रहने का अंत होता नहीं दिखता ।
नयन बिनु बानी.. सो शब्दों के अभाव में नयनों को ही तृप्त कर लेने का प्रयास है, यह ।
घुमा कर मारा है.. शैली का जोरदार कटाक्ष !
नयन बिनु बानी.. सो शब्दों के अभाव में नयनों को ही तृप्त कर लेने का प्रयास है, यह ।
घुमा कर मारा है.. शैली का जोरदार कटाक्ष !
February 23, 2009 3:55 AM
6 comments:
स्वतंत्र रूप से टिप्पणियों को पढ़ने पर उन की महत्ता पता लग रही है।
Aaj aur abhi pata chala Dr. Amar Kumar nahi rahe..aawaq rah gayi hun..Yakeen hi nahi hua..
mere shraddha suman samarpit hain unke charan kamlon par..
Blog Jagat se door rahne ka ye bahut bada nuksaan hai..
Ada
Germany se
Nice post .
डॉ अमर कुमार एक ज्ञानी आदमी थे।
उनकी टिप्पणी उनके ज्ञान का प्रमाण है।
जिसे आप देख सकते हैं इस लिंक पर
सारी वसुधा एक परिवार है
डॉ अमर किसी भी मठ {ब्लोगिंग } के सदस्य नहीं थे और पढते थे ब्लॉग किसी का भी कभी भी . उनके कमेन्ट किसी ग्रुप के नहीं होते थे . जब भी मुद्दा रहा उन्होने वाद विवाद किया और करते रहे . ना जाने २००७ से लेकर अस्वस्थ होने तक उन्होने कितने मुद्दों पर बहस की हैं पर केवल एक ब्लॉगर बन कर .
जैसे जैसे बिमारी बढी उनके कमेन्ट में बदलाव आया , वो बहुत भावुक होते गए . उनके अन्दर का वाद विवाद धीरे धीरे कैंसर की भेट चढ़ गया .
उनको मुक्ति मिले और वो जहां भी दुबारा जनम ले अपना जीवन पूर्णता से जिये
मै यही कामना करती हूँ .
ॐ शांति शांति शांति
डॉ अमर जैसे व्यक्ति ने भी एक बार अपने सारे कमेन्ट एक ब्लॉग से मिटा दिये क्यूँ कह नहीं सकती पर १०० से ज्यादा कमेन्ट अलग अलग पोस्ट पर मिटाना कुछ तो कारण रहा ही होगा . ना जाने क्यूँ मुझे आप सबका इस प्रकार उनके कमेन्ट को सहेजना सही नहीं लग रहा हैं . क्युकी उनके कमेन्ट जहां हैं वहा इन्टरनेट उसको सहेजे ही हुए हैं पर इस को मेरी व्यक्तिगत पसंद /न पसंद समझे आक्षेप नहीं क्युकी याद करने और याद भुला कर मुक्त कर ने के सबके अपने तरीके हैं
but going by your request on the net i just sent few and will send more
i hope people will understand how important this medium is and how important its not to form parivaar and group in this medium
we should be fearless about what we say and it should be related to issues
आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (६) के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आयें और अपने विचारों से हमें अवगत कराएँ /आप हिंदी के सेवा इसी तरह करते रहें ,यही कामना हैं /आज सोमबार को आपब्लोगर्स मीट वीकली
के मंच पर आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /
इसे संग्रहणीय बनाया जाए ताकि हिंदी ब्लॉगजगत में टिप्पणियों की महत्ता को पूर्णरूप से समझा जा सके !
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